गणित और प्रायोजित्व के क्षेत्र में एक ऐसी समस्या है जिसने सदियों से लोगों के मनोबल को चुनौती दी है – मॉन्टी हॉल समस्या। यह समस्या वहां से उठी जहां समान्यत: का सिद्धांत सब कुछ होता है, लेकिन जब नई जानकारी प्राप्त होती है, तो निर्णय में बदलाव आ सकता है। इस लेख में हम इस समस्या को गहराई से समझेंगे, जानेंगे कि यह कैसे एक प्रायोजित्व संदर्भ में दिखाई देता है और गणितिक न्याय कैसे इसे सुलझाने में मदद करता है।
मॉन्टी हॉल समस्या की प्रारंभिक कहानी एक गेम शो से जुड़ी है, जिसमें एक प्रतियोगी को तीन दरवाज़ों में से एक दरवाज़ा चुनने का आदेश दिया जाता है। इनमें से दो दरवाज़ों के पीछे बकरियाँ हैं और तीसरे दरवाज़े के पीछे एक नई कार है। प्रतियोगी अपनी पसंद करता है। फिर होस्ट, जिसमें मॉन्टी हॉल शामिल हैं, जो दरवाज़ों के पीछे क्या है वह जानते हैं, एक अन्य दरवाज़े को खोलते हैं और वहाँ एक बकरी होती है। मॉन्टी हमेशा एक बकरी दिखाते हैं। फिर वह प्रतियोगी से पूछते हैं कि क्या वह अपनी पहली चुनौती को दूसरे बचे हुए दरवाज़े पर स्विच करना चाहेंगे।
इस समस्या के समाधान में महिला वेतनाधिकारी और गुड़ग्राम स्वीमिंग चैंपियन मैरिलिन वोस सवांट ने अपने कॉलम में समझाया था कि प्रतियोगी को दरवाज़ा स्विच करना चाहिए। उन्होंने यहां कहा था कि बाकी दो दरवाज़ों में से किसी एक पर गाड़ी होने की संभावना दो में से एक है, जबकि आपकी मूल चुनौती पर गाड़ी होने की संभावना एक में है। इस पर उन्हें हजारों पत्र आए, जिनमें से कई गणित और सांख्यिकीय विशेषज्ञों ने उनकी गलती का दावा किया। उनके खिलाफ सबसे आम तरीके से यह तर्क था कि स्विचिंग और ना स्विच करने में कोई फर्क नहीं है।
इस समस्या को समझने के लिए हमें गणित का सहारा लेना होगा। जब प्रतियोगी अपनी पहली पसंद करता है, तो गाड़ी किसी भी तीन दरवाज़ों में हो सकती है, जिससे उनकी जीतने की संभावनाएँ एक तीसरे हैं। मॉन्टी हॉल बकरी के दर्शन के बाद, स्विचिंग दरवाज़े से दो तीन जीतने की संभावनाएँ होती हैं। इसलिए, यदि प्रतियोगी हर बार दरवाज़ा स्विच करता है, तो वह गाड़ी जीतने की संभावनाएँ को दो तीन कर देता है। इस तरीके से, एक औरत को स्विच करने के लिए हमेशा अपनी पहली चुनौती को दूसरे बची हुई दरवाज़े पर करना चाहिए।
गणित का व्यापक अनुप्रयोग
मॉन्टी हॉल समस्या का हल गणित के कई पहलुओं को समझाने का एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है। यह दिखाता है कि कभी-कभी हमारी संज्ञानात्मक प्रतीतियाँ गलत साबित हो सकती हैं और गणितिक तरीके से समस्याओं का समाधान निकाल सकते हैं। मानव मन के यहां नई जानकारी के प्राप्त होने पर निर्णय में परिवर्तन की आवश्यकता उठती है, जो कि हमें गणितीय न्याय के अनुसार करना चाहिए।
मॉन्टी हॉल समस्या को समझने के लिए हम गणितीय अंकगणित के नियमों का पालन करते हैं। जब प्रतियोगी अपनी पहली चुनौती करता है, तो गाड़ी का होने का अवसर तीन में से एक में होता है, जिससे उनकी जीतने की संभावनाएँ एक तीन होती हैं। मॉन्टी हॉल बकरी दिखाने के बाद, स्विचिंग दरवाज़े से दो तीन जीतने की संभावनाएँ होती हैं। इसलिए, यदि प्रतियोगी हर बार दरवाज़ा स्विच करता है, तो वह गाड़ी जीतने की संभावनाएँ को दो तीन कर देता है। इस तरीके से, एक औरत को स्विच करने के लिए हमेशा अपनी पहली चुनौती को दूसरे बची हुई दरवाज़े पर करना चाहिए।
मॉन्टी हॉल समस्या हमें यह सिखाती है कि गणितीय न्याय और तरीके हमारी दैनिक जिंदगी में भी उपयोगी हो सकते हैं। यह उदाहरण दिखाता है कि कभी-कभी हमारी संज्ञानात्मक धारणाएँ हमें गलत निर्णय पर ले जाती हैं, जबकि वास्तविकता में गणितीय तरीके से दिशा मिल सकती है।
इसलिए, गणित के अध्ययन में ध्यान देने से हमें अपने निर्णयों को सुधारने के लिए विश्वासनीय उपाय प्राप्त होते हैं। मॉन्टी हॉल समस्या की इस गहराई को समझने से हम अपने जीवन में भी विचारशीलता और निर्णय लेने की क्षमता को सुधार सकते हैं। इसलिए, गणितीय न्यायों के माध्यम से हमें अपने सोचने के तरीके को बेहतर बनाने के लिए प्रेरित करती है।
इस लेख के माध्यम से हमने देखा कि मॉन्टी हॉल समस्या कैसे गणितीय न्याय के माध्यम से एक महत्वपूर्ण सीख देती है। यह समस्या हमें यह दिखाती है कि नई जानकारी कैसे हमारे निर्णयों को प्रभावित कर सकती है और हमारी संज्ञानात्मक प्रतीतियों की सत्यता भी हमें समझानी चाहिए। गणित का यह सिद्धांत हमारे जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में भी लागू हो सकता है और हमें अपने निर्णयों में सुधार ला सकता है।
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