वट सावित्री व्रत 2024: महत्व और महत्वपूर्ण तिथियाँ

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वट सावित्री व्रत का महत्व

वट सावित्री व्रत एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है जो महिलाओं द्वारा व्रत रखकर अपने पतियों की लम्बी आयु और सौभाग्य की प्राप्ति की कामना करने के लिए मनाया जाता है। यह व्रत हिन्दू पंचांग के अनुसार वैषाख मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है, जो इस वर्ष 5 जून को पड़ रही है। इस व्रत को ‘सावित्री ब्रत’ भी कहा जाता है, जो सती सावित्री की पूजा और उनके पति की लंबी उम्र की कामना के लिए मनाया जाता है।

वट सावित्री व्रत की पूजा विधि और मुहूर्त

वट सावित्री व्रत को सुबह से ही शुरू किया जाता है। व्रत की शुरुआत में महिलाएं अपने सजे-संवरे हुए कपड़े पहनती हैं और अपने पति का दीर्घायु और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए पूजा अर्चना करती हैं। इसके बाद व्रत की कथा कथाएं सुनी जाती हैं और पुजारी के मार्गदर्शन में पूजा की जाती है।

पूजन सामग्री

वट सावित्री व्रत में उपयोग होने वाली पूजन सामग्री में विभिन्न प्रकार के फल, पुष्प, धूप, दीप, नारियल, चौक, चौलाई, धान, आदि शामिल होते हैं। ये सामग्री पूजन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होती हैं।

वट सावित्री व्रत का महत्व

वट सावित्री व्रत का महत्व बहुत उच्च माना जाता है। इस दिन महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र और सौभाग्य की कामना करती हैं और पूजा-अर्चना करती हैं। इस व्रत में स्त्रियाँ निरंतर व्रत रखकर अपने पतियों की खुशियों की कामना करती हैं।

वट सावित्री व्रत कथा

वट सावित्री व्रत की कथा में सावित्री के पति सत्यवान निर्धनता में डूबते थे। सावित्री ने उन्हें बचाने के लिए यमराज से व्रत करके अपने पति की आयु का वृद्धि की कामना की थी। उनकी निष्ठा, धैर्य और प्रेम की शक्ति ने यमराज को भी अपना मान लिया और उन्हें उनके पति की आयु का वृद्धि की आज्ञा दी।

इस प्रकार, वट सावित्री व्रत हिन्दू संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्त्री पर्व है

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