परिचय
हर वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। यह दिन पर्यावरण संरक्षण के महत्व को रेखांकित करता है और राजनीतिक चेतना को बढ़ावा देता है। 1972 में स्टॉकहोम सम्मेलन के दौरान संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस दिन को World Environment Day के रूप में घोषित किया था। इसका उद्देश्य पृथ्वी को रहने लायक बनाना और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करना है।
पहली बार विश्व पर्यावरण दिवस 1974 में अमेरिका के स्पोकेन शहर में मनाया गया, जिसका विषय था – “Only One Earth”। तब से हर साल यह अलग-अलग विषयों और मेजबान देशों के साथ वैश्विक स्तर पर मनाया जाता है।
इस दिन पर लोग कई प्रसिद्ध उद्धरण और नारे दोहराते हैं जो पर्यावरण के महत्व को दर्शाते हैं:
लोकप्रिय नारे:
वन सिर्फ हरियाली का प्रतीक नहीं हैं, बल्कि यह हमारी जीवन रेखा हैं। वनों के अनेक लाभ हैं:
वन हमें लकड़ी, ईंधन, रबर, कागज और औषधियों जैसे अनगिनत संसाधन प्रदान करते हैं। ये चीजें मानव जीवन के लिए अनिवार्य हैं।
विश्व स्तर पर उपलब्ध ताजे जल का लगभग 75% हिस्सा वनों से आता है। जहां वन कट जाते हैं, वहां बाढ़, भूस्खलन और जल गुणवत्ता में गिरावट जैसे खतरे बढ़ जाते हैं।
वन वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर उसे अपने भीतर संग्रहीत करते हैं। इस तरह वे ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन से लड़ने में सहायक होते हैं।
वन धरती की सबसे विविध जैविक पारिस्थितिकी तंत्र हैं। दुनिया के आधे से अधिक प्राणी वन क्षेत्रों में रहते हैं, जिनमें वनमानुषों से लेकर कीटों तक सभी शामिल हैं।
लगभग 60 मिलियन आदिवासी और 1.6 अरब लोग विश्व भर में अपनी आजीविका के लिए वनों पर निर्भर हैं। वनों के साथ उनका सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रिश्ता भी होता है।
वनों में अनेक औषधीय पौधे पाए जाते हैं, जिनसे दवाएं बनती हैं। आयुर्वेद से लेकर आधुनिक चिकित्सा तक, वनों की भूमिका अति महत्वपूर्ण है।
वन हमारी सेवा तो करते हैं, लेकिन अब वे खतरे में हैं। कुछ प्रमुख समस्याएं:
वनों के आसपास बसने वाले लोग अक्सर अवैध लकड़ी कटाई और ईंधन के लिए वृक्षों की कटाई करते हैं। इससे भूमि क्षरण होता है और वन क्षेत्र घटता है।
तेजी से बढ़ती आबादी और अत्यधिक शहरीकरण वनों पर बहुत बड़ा दबाव डालते हैं। लगातार बढ़ते निर्माण कार्यों से वनों की जमीन कम होती जा रही है।
अरब देशों में 1990 में कुल भूमि का 7.2% भाग वन क्षेत्र था, जो 2007 तक घटकर 6.4% रह गया। लेबनान जैसे देशों में वनों की कटाई से वन क्षेत्र मात्र 13.3% बचा है।
पालतू जानवरों की चराई भी वनों पर भारी पड़ती है। इससे वनस्पतियों का पुनर्जनन रुकता है और जैव विविधता में कमी आती है।
हमें विकास और संरक्षण के बीच संतुलन बनाना होगा। कुछ कदम जो हम उठा सकते हैं:
पर्यावरण को बचाने की दिशा में वनों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। वे न केवल हमें सांस लेने के लिए शुद्ध हवा देते हैं, बल्कि जलवायु संतुलन, जैव विविधता, और चिकित्सा से लेकर आजीविका तक – जीवन के हर पहलू में हमारी मदद करते हैं।
5 जून को मनाया जाने वाला विश्व पर्यावरण दिवस हमें याद दिलाता है कि प्रकृति की सेवा ही मानवता की सच्ची सेवा है। इस दिन को महज एक रस्म की तरह नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी के रूप में अपनाएं। आइए, हम सब मिलकर प्रण लें कि हम अपने वनों को बचाएंगे – क्योंकि वन हैं, तभी जीवन है।
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