परिचय
वायु प्रदूषण एक “मौन हत्यारा” है जो न केवल भारत की हवा को विषैला बना रहा है, बल्कि करोड़ों भारतीयों के स्वास्थ्य को भी गंभीर खतरे में डाल चुका है। विकास की रफ्तार के साथ भारत में वायु प्रदूषण एक चिंताजनक समस्या बन चुका है, जो हर वर्ग, हर आयु और हर क्षेत्र को प्रभावित कर रहा है। इस समस्या से निपटने के लिए भारत सरकार ने ‘राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम’ (NCAP) जैसी योजनाएं शुरू की हैं, लेकिन चुनौतियाँ अभी भी कम नहीं हैं।
वायु प्रदूषण का मतलब है वायुमंडल में उन तत्वों की उपस्थिति जो मानव स्वास्थ्य, वनस्पति, जीव-जंतु और पर्यावरण के लिए हानिकारक हैं। इनमें शामिल हैं – धूल, धुआं, गैसें (जैसे कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड), रासायनिक कण, और पीएम 2.5 जैसे सूक्ष्म कण।
विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत की GDP का लगभग 8.5% भाग वायु प्रदूषण से होने वाले स्वास्थ्य खर्च और कार्यदक्षता की कमी के कारण प्रभावित होता है। बीमारियों के इलाज पर खर्च बढ़ता है, कामकाज में बाधा आती है और उत्पादकता घटती है।
2019 में शुरू हुआ यह कार्यक्रम 132 सबसे अधिक प्रदूषित शहरों को चिन्हित करता है और एक समयबद्ध योजना के तहत अगले 5 वर्षों में वायु प्रदूषण को 50% तक घटाने का लक्ष्य रखता है।
ये संस्थाएं उद्योगों और वाहनों पर नियंत्रण रखती हैं और वायु गुणवत्ता की निगरानी करती हैं।
सरकार ने FAME योजना के तहत इलेक्ट्रिक गाड़ियों को सब्सिडी दी है और चार्जिंग स्टेशन बनाने के लिए बजट आवंटित किया है।
ग्रामीण महिलाओं को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन देने की योजना से लकड़ी और कोयले के धुएं से राहत मिली है।
पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की बजाय वैज्ञानिक समाधान (बायोडीग्रेडेबल टैक्नोलॉजी, Happy Seeder) को बढ़ावा दिया जा रहा है।
भारत में वायु प्रदूषण एक गंभीर संकट बन चुका है जो हर वर्ष लाखों लोगों की जान ले रहा है। स्वास्थ्य, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था – तीनों पर इसका प्रभाव अत्यंत घातक है। सरकार ने कुछ महत्वपूर्ण कदम जरूर उठाए हैं, लेकिन जब तक इन योजनाओं को ज़मीन पर पूरी तरह लागू नहीं किया जाएगा, तब तक स्थिति में सुधार संभव नहीं है।
समाधान सरकार के साथ-साथ आम नागरिकों के सहयोग से ही संभव है। हमें अपने पर्यावरण के प्रति संवेदनशील होना होगा और वायु प्रदूषण से लड़ने के लिए एकजुट होकर प्रयास करने होंगे। साफ़ हवा में सांस लेना हर भारतीय का अधिकार है और इसे सुरक्षित रखना हमारी ज़िम्मेदारी भी।
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