महाराष्ट्र, भारत का एक ऐसा राज्य है जो न केवल अपनी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि अपने धार्मिक स्थलों के लिए भी जाना जाता है। यहां के मंदिर न केवल आस्था का प्रतीक हैं, बल्कि अपनी अद्भुत वास्तुकला और धार्मिक महत्व के लिए भी प्रसिद्ध हैं। खासतौर पर खंडोबा, जिन्हें भगवान शिव का अवतार माना जाता है, महाराष्ट्र के प्रमुख देवता हैं। इसके अलावा, भगवान गणेश, भगवान हनुमान, भगवान विष्णु और साईं बाबा के भी कई प्रसिद्ध मंदिर यहां स्थित हैं।
महाराष्ट्र में हिंदू धर्म के कई प्रमुख देवी-देवताओं की पूजा होती है। इनमें से कुछ देवताओं को प्रतिदिन पूजा जाता है, जबकि कुछ विशेष त्योहारों पर बड़े धूमधाम से पूजे जाते हैं। यह राज्य विविधता और धर्मनिरपेक्षता का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करता है। यहां मंदिरों के साथ-साथ चर्च और मस्जिदें भी देखने को मिलती हैं।
महाराष्ट्र में लगभग 93 प्रसिद्ध मंदिर हैं जो राज्यभर में फैले हुए हैं। इनमें से कुछ प्रमुख मंदिर निम्नलिखित हैं:
त्र्यंबकेश्वर मंदिर नासिक में स्थित है और इसे भारत के 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। इस मंदिर के परिसर में एक छोटा सा तालाब है, जिसे गोदावरी नदी का उद्गम स्थल माना जाता है। मंदिर की विशेषता इसकी काले पत्थरों से बनी संरचना और ज्योतिर्लिंग की त्रिमूर्ति (ब्रह्मा, विष्णु और शिव) है। यह कुंभ मेले का स्थल भी है और एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जहां भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु की भी पूजा होती है।
शिरडी स्थित यह मंदिर साईं बाबा के भक्तों के लिए एक पवित्र स्थल है। यह मंदिर 200 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। इसके मुख्य मंदिर के सामने एक विशाल हॉल है, जिसमें 600 से अधिक लोग एक साथ बैठ सकते हैं। यहां एक पवित्र नीम का पेड़ (गुरुस्थान) भी है, जिसे साईं बाबा के भक्त अत्यंत श्रद्धा के साथ पूजते हैं।
खंडोबा मंदिर महाराष्ट्र के प्रसिद्ध देवता खंडोबा को समर्पित है। जेजुरी में स्थित यह मंदिर एक पहाड़ी की चोटी पर बना हुआ है, जहां पहुंचने के लिए 300 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। मंदिर की दीवारों पर खंडोबा की मल्ल और मणि नामक दुष्ट राक्षसों पर विजय को चित्रित किया गया है।
मुंबई का सिद्धिविनायक मंदिर महाराष्ट्र का सबसे अमीर मंदिर माना जाता है। इसका निर्माण 19वीं सदी में हुआ था। इस मंदिर की वास्तुकला अद्वितीय है, जिसमें लकड़ी के दरवाजों पर अष्टविनायक की आकृतियां उकेरी गई हैं। मंदिर की छत पर शुद्ध सोने की परत चढ़ाई गई है और इसकी बाहरी दीवारों को बदलती हुई रोशनी से सजाया गया है।
यह मंदिर 634 ईस्वी में करंदेव ने बनवाया था। देवी महालक्ष्मी की मूर्ति आभूषणों और रत्नों से सजी हुई है। मंदिर के पीछे एक पत्थर का शेर और पंचफन नाग का मुकुट भी है। मंदिर की दीवारों पर श्री यंत्र अंकित है, जो इसकी आध्यात्मिक महत्ता को दर्शाता है।
महाराष्ट्र के मंदिर अपनी अद्वितीय वास्तुकला और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध हैं। ज्यादातर मंदिर पहाड़ियों पर स्थित हैं और पत्थरों से बने हैं। इनकी दीवारों पर की गई नक्काशी और शिलालेख धार्मिक कहानियों और ऐतिहासिक घटनाओं को दर्शाते हैं।
महाराष्ट्र एक ऐसा राज्य है जहां हर कोने में आपको धर्म और आस्था का मेल देखने को मिलेगा। यहां के मंदिर न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करते हैं, बल्कि राज्य की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत का भी प्रतीक हैं। खंडोबा, भगवान गणेश, साईं बाबा और अन्य देवताओं को समर्पित ये मंदिर हर साल लाखों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इन मंदिरों का भ्रमण करना न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह महाराष्ट्र की समृद्ध परंपरा और इतिहास को जानने का भी एक अद्भुत अनुभव है।
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