प्रस्तावना
जी20 (Group of Twenty) वैश्विक स्तर पर सबसे महत्वपूर्ण आर्थिक और राजनीतिक समूहों में से एक है। इसका गठन 1999 में किया गया था, और इसमें विश्व की 20 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं। यह समूह अंतरराष्ट्रीय आर्थिक स्थिरता, विकास, और समग्र वैश्विक सहयोग पर चर्चा करने के लिए एक मंच प्रदान करता है। हर साल, जी20 शिखर सम्मेलन में सदस्य देशों के नेता आर्थिक, राजनीतिक, और सामाजिक मुद्दों पर विचार-विमर्श करते हैं।
इस लेख में, जी20 के गठन, उद्देश्य, कार्यों, और इसकी वैश्विक भूमिका पर गहराई से चर्चा की गई है। साथ ही, इसके एजेंडे, उपलब्धियों, और आलोचनाओं को भी शामिल किया गया है।
जी20 का गठन और उद्देश्य
गठन का कारण
1997-1998 के एशियाई वित्तीय संकट ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को हिलाकर रख दिया। इस संकट ने यह स्पष्ट किया कि आर्थिक समस्याओं का समाधान केवल विकसित देशों तक सीमित नहीं रह सकता। इस पृष्ठभूमि में, 1999 में जी20 की स्थापना हुई।
उद्देश्य
जी20 का मुख्य उद्देश्य वैश्विक आर्थिक स्थिरता और विकास को बढ़ावा देना है। इसके अलावा, यह समूह निम्नलिखित उद्देश्यों पर कार्य करता है:
- वित्तीय संकटों को रोकना:
वित्तीय संकटों की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए नीतिगत समन्वय करना। - अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देना:
व्यापार बाधाओं को कम करके वैश्विक व्यापार में सुधार करना। - विकासशील देशों का सहयोग:
आर्थिक रूप से कमजोर देशों को स्थिरता और विकास के लिए सहायता प्रदान करना। - सतत विकास:
पर्यावरण संरक्षण और हरित ऊर्जा स्रोतों को प्रोत्साहन देना।
जी20 के सदस्य देश
जी20 में कुल 19 देश और यूरोपीय संघ (EU) शामिल हैं। सदस्य देश विश्व की सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण अर्थव्यवस्थाएं हैं। ये देश निम्नलिखित हैं:
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- मेक्सिको
- यूनाइटेड किंगडम
- ऑस्ट्रेलिया
- कनाडा
- अर्जेंटीना
- ब्राजील
- चीन
- जापान
- जर्मनी
- फ्रांस
- इटली
- इंडोनेशिया
- भारत
- रूस
- सऊदी अरब
- दक्षिण अफ्रीका
- दक्षिण कोरिया
- तुर्की
स्पेन को स्थायी अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाता है।
जी20 की कार्यप्रणाली
गैर-स्थायी संगठन
जी20 एक स्थायी संगठन नहीं है। इसके पास कोई स्थायी सचिवालय या मुख्यालय नहीं है। इसकी अध्यक्षता हर साल बदलती रहती है, और यह बारी-बारी से सदस्य देशों द्वारा संभाली जाती है।
निर्णय लेने की प्रक्रिया
जी20 में सभी निर्णय सहमति के आधार पर लिए जाते हैं। इस प्रक्रिया में सभी सदस्य देशों की राय का महत्व है।
एजेंडा तय करने का तरीका
हर वर्ष की अध्यक्षता करने वाला देश एजेंडा तैयार करता है, जिसमें वर्तमान वैश्विक मुद्दों को प्राथमिकता दी जाती है।
जी20 शिखर सम्मेलन
जी20 शिखर सम्मेलन का आयोजन हर वर्ष होता है, जिसमें सदस्य देशों के नेता, वित्त मंत्री, और केंद्रीय बैंक गवर्नर भाग लेते हैं। इन सम्मेलनों में कई महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों पर चर्चा होती है।
महत्वपूर्ण जी20 सम्मेलन और उनके एजेंडा
- 2008 का पहला सम्मेलन:
यह सम्मेलन वैश्विक वित्तीय संकट के बीच आयोजित हुआ। इसमें वैश्विक अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए गए। - 2018 अर्जेंटीना सम्मेलन:
- भविष्य के कार्यस्थल की तैयारी।
- सतत विकास के लिए बुनियादी ढांचा।
- खाद्य सुरक्षा।
- 2019 ओसाका सम्मेलन:
- डिजिटल अर्थव्यवस्था।
- पर्यावरण और ऊर्जा।
- महिलाओं का सशक्तिकरण।
- 2021 रोम सम्मेलन:
- छोटे और मध्यम उद्यमों का समर्थन।
- जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई।
- कोविड-19 महामारी के प्रभावों का प्रबंधन।
- 2023 भारत सम्मेलन (आगामी):
- वैश्विक स्वास्थ्य।
- हरित ऊर्जा संक्रमण।
- डिजिटल समावेशन।
जी20 और जी7 में अंतर
जी7 का परिचय
जी7 सात सबसे विकसित अर्थव्यवस्थाओं का एक समूह है। इसके सदस्य देश हैं:
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- कनाडा
- जापान
- जर्मनी
- फ्रांस
- इटली
- यूनाइटेड किंगडम
मुख्य अंतर
- सदस्यता:
- जी7 में केवल विकसित देश हैं।
- जी20 में विकसित और विकासशील दोनों देश शामिल हैं।
- उद्देश्य:
- जी7 मुख्य रूप से राजनीतिक और सुरक्षा मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है।
- जी20 का ध्यान आर्थिक और वित्तीय मुद्दों पर है।
- गठन का समय:
- जी7 की स्थापना 1975 में हुई थी।
- जी20 की स्थापना 1999 में हुई।
जी20 की उपलब्धियां
वैश्विक वित्तीय स्थिरता:
2008 के वित्तीय संकट के दौरान, जी20 ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए।
महिला सशक्तिकरण:
जी20 ने महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए कई पहल की हैं।
डिजिटल अर्थव्यवस्था:
डिजिटल परिवर्तन को बढ़ावा देने के लिए जी20 ने कई नीतियां लागू की हैं।
सतत विकास:
पर्यावरण संरक्षण और हरित ऊर्जा के उपयोग को प्रोत्साहित किया गया है।
जी20 की चुनौतियां
सदस्य देशों के हितों का टकराव:
जी20 के सदस्य देशों के अलग-अलग हितों के कारण नीति निर्माण में बाधा आती है।
क्रियान्वयन में कमी:
जी20 के प्रस्तावों को लागू करना सदस्य देशों की जिम्मेदारी है, जिससे कई बार देरी होती है।
विकासशील देशों की चिंताएं:
विकासशील देश अक्सर महसूस करते हैं कि उनकी समस्याओं को पर्याप्त महत्व नहीं दिया जाता।
जी20 का भविष्य
जी20 वैश्विक समस्याओं के समाधान के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बना हुआ है। जैसे-जैसे दुनिया जलवायु परिवर्तन, डिजिटल असमानता, और वैश्विक स्वास्थ्य जैसे मुद्दों का सामना कर रही है, जी20 की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।
आगामी प्राथमिकताएं:
- हरित ऊर्जा का प्रसार।
- डिजिटल समावेशन।
- स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार।
- विकासशील देशों के लिए आर्थिक सहायता।
निष्कर्ष
जी20 वैश्विक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने का एक महत्वपूर्ण मंच है। यह विकसित और विकासशील देशों के बीच संवाद का पुल बनाता है। हालांकि इसे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन इसकी उपलब्धियां इसे एक प्रभावशाली मंच बनाती हैं। जी20 की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि सदस्य देश अपनी राजनीतिक इच्छाशक्ति के साथ कितनी प्रभावी कार्रवाई करते हैं।
जी20 न केवल एक आर्थिक समूह है बल्कि यह विश्व को एकजुट करने और समृद्ध भविष्य की दिशा में ले जाने का एक प्रयास है।
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