परिचय
आदम स्मिथ, जिन्हें ‘पूंजीवाद का बाइबल’ माना जाता है, एक स्कॉटिश अर्थशास्त्री और दार्शनिक थे। उनकी प्रमुख पुस्तक ‘द वेल्थ ऑफ नेशंस’ ने उन्हें अर्थशास्त्र के महान संस्थापक के रूप में स्थापित किया। इस पुस्तक में वे व्यापार में स्वतंत्रता और सरकारी हस्तक्षेप की कमी के पक्षधर हैं। आदम स्मिथ का यह काम क्लासिकल अर्थशास्त्र के मूल रूपक है और इसे सबसे प्रभावशाली पुस्तकों में से एक माना जाता है।
जीवनी
आदम स्मिथ का जन्म जून 1723 में स्कॉटलैंड के कर्काल्डी नामक शहर में हुआ था। उनके पिता वसूली और संग्रहक ऑफ कस्टम्स थे, जो उनकी माँ के गर्भ में थे जब वे निधन हो गए थे, लेकिन उन्होंने परिवार को पर्याप्त वित्तीय संसाधन छोड़ दिया था। बचपन में आदम को स्थानीय पैरिश स्कूल में शिक्षा प्राप्त हुई और 13 साल की आयु में ग्लास्गो कॉलेज में भर्ती हो गए, बाद में ऑक्सफ़र्ड विश्वविद्यालय में जारी की।
विचारधारा और समाजशास्त्र
आदम स्मिथ को कई अद्वितीय विचारधाराएँ भी श्रेय जाती हैं, उनमें व्यापार, व्यापारिक संगठन और विभाजन श्रम के सिद्धांत शामिल हैं। उन्होंने समाजशास्त्र के संस्थापकों में भी अपनी जगह बनाई, जिनमें न्यूटन की गति के सिद्धांतों की तरह मानव गतिविधियाँ खोजने की मान्यता थी।
आर्थिक सिद्धांत
आदम स्मिथ का ‘द वेल्थ ऑफ नेशंस’ एक व्यापक अध्ययन है जिसमें वे राष्ट्रीय आर्थिक सफलता के लिए सरकारी नीति का वैज्ञानिक रूप से औचित्यानुसार अन्वेषण करते हैं। उन्होंने समाजी संगठन के चार मुख्य चरणों को विस्तार से वर्णित किया और व्यापारिक सहयोग के महत्व को उजागर किया।
बाजारी अदृश्य हाथ
आदम स्मिथ ने आर्थिक बाजारों में सरकारी हस्तक्षेप को नकारते हुए ‘अदृश्य हाथ’ की अवधारणा पर जोर दिया। इस सिद्धांत के अनुसार, बाजार स्वतंत्रता से संचालित होते हैं जिससे उत्पादन और उपभोक्ता की परिवर्तनशीलता का समाधान होता है।
समाप्ति
आदम स्मिथ का यह योगदान आधुनिक अर्थशास्त्र के विकास में महत्वपूर्ण है, जिसने व्यापारिक संगठन और स्वतंत्र बाजार के प्राथमिकताओं को उजागर किया। उनकी विचारधारा ने व्यापारिक व्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो आज भी अर्थशास्त्र के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सिद्धांतों के रूप में जाने जाते हैं।
+ There are no comments
Add yours