ज्ञान

एलन ट्यूरिंग: कंप्यूटर विज्ञान के जनक

एलन मैथिसन ट्यूरिंग मानव इतिहास में सबसे गहरे, कल्पनाशील और प्रभावी विचारकों में से एक माने जाते हैं। उन्हें उनके विप्लवी क्रिप्टोग्राफी में कार्य, जिसने द्वितीय विश्व युद्ध में लाखों जीवन बचाए, उनके विकल्पीय कंप्यूटर विज्ञान के आविष्कार, और उनके कृतक कल्पनाशास्त्र पर दे गए दावे के लिए व्यापक रूप से जाना जाता है। इस लेख में, हम उनके जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को विस्तार से जानेंगे, उनके कार्यों के महत्व को समझेंगे और उनके विचारों का महत्व आज तक कैसे बरकरार है।

एलन ट्यूरिंग का जन्म 23 जून 1912 को ब्रिटेन के पड़ोसी नगर मैडनहेड में हुआ था। उनके पिता जॉन ट्यूरिंग का नामी शास्त्रीय गणित और भारी शराबी था, जिन्हें 1952 में मृत्यु हो गई। उनकी मां का नाम सैरा स्टेंली-ट्यूरिंग था, जिन्होंने बचपन में ही उनकी पढ़ाई में मदद की थी।

शैक्षिक जीवन:

ट्यूरिंग के शैक्षिक करियर की शुरुआत कैम्ब्रिज के किंग्स कॉलेज से हुई, जहां उन्होंने गणित में अध्ययन किया। 1935 में उन्होंने अपनी डिसर्टेशन पूरी की और अगले वर्ष उन्होंने अपने प्रस्तावनात्मक लेख “On Computable Numbers, with an Application to the Entscheidungsproblem” प्रकाशित किया। इस लेख में उन्होंने गणितीय संख्या सिद्धांत के गहरे समस्याओं पर अपने विचार प्रस्तुत किए और ट्यूरिंग मशीन का आविष्कार किया, जो आगामी डिजिटल कंप्यूटिंग के लिए मूल नींव बनी।

द्वितीय विश्वयुद्ध और क्रिप्टोग्राफी:

द्वितीय विश्वयुद्ध में, ट्यूरिंग ब्रिटिश सरकार के लिए काम करते थे, जहां उन्होंने गहरी नाज़ुक मिशन को निभाया था। उन्होंने जर्मन तंत्रिकाओं के बहुत से कोड डिक्रिप्शन के लिए विभिन्न तकनीकी प्रणालियाँ विकसित कीं, जिसमें पूर्व-युद्ध पोलिश “बोम्बा” को सुधारा गया था। उनका योगदान अभीमानी मेसेजों के एन्क्रिप्टेड संदेशों के विश्लेषण में महत्वपूर्ण रहा, जिससे बड़ी लड़ाइयों में ब्रिटेन की जीत हो सकी।

पश्चात जीवन और चेमिकल बेसिस ऑफ मॉर्फोज़ेनेसिस:

विश्व युद्ध के बाद, ट्यूरिंग ने एक नई प्रकार के कंप्यूटर डिजाइन की योजना बनाई, जिसे “ऑटोमैटिक कंप्यूटिंग इंजन” (एसीई) कहा गया। उनकी इस योजना का अंतिम नतीजा नहीं निकला, लेकिन मैंचेस्टर मार्क वन नामक मशीन का निर्माण हुआ, जो उनके सिद्धांतों पर आधारित थी।

Twinkle Pandey

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