चंद्रयान-3
पीएम मोदी ने चंद्रयान-3 के लॉन्च के मौके पर बधाई देते हुए जताया कि यह भारत के अंतरिक्ष यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। उन्होंने इस उपलब्धि को भारत के हर व्यक्ति के सपनों और महत्वाकांक्षाओं को ऊपर ले जाने के रूप में बताया और भारतीय वैज्ञानिकों की मेहनत और समर्पण का स्तुति की। उन्होंने वैज्ञानिकों के उत्साह और प्रतिभा को सलाम किया।
चंद्रयान-3 मिशन की गतिविधियां सामान्य हैं और इसे चांद की सतह पर देखने की उम्मीद है। चंद्रयान-3 में एक लैंडर, एक रोवर और एक प्रॉपल्सन मॉड्यूल हैं। इसका कुल भार 3,900 किलोग्राम है। यह मिशन पांच अगस्त 2023 को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करेगा। चंद्रयान-3 मिशन के लॉन्च के समय हजारों लोग स्पेस सेंटर पर मौजूद थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चंद्रयान-3 के लॉन्च से पहले एक ट्वीट करके इसे बहुत महत्वपूर्ण बताया था। उन्होंने कहा था, “भारत के स्पेस सेक्टर के क्षेत्र में 14 जुलाई 2023 की तारीख़ सुनहरे अक्षरों में लिखी जाएगी”। यह उनकी इस मिशन के प्रति गर्व और समर्थन का प्रकटीकरण करता है।
चंद्रयान-3 मिशन में रोवर
चंद्रयान-3 मिशन में रोवर भी होगा, जो चांद की सतह पर उतरेगा और इसकी पोजिशनिंग लूनर साउथ पोल में होगी। यह रोवर चंद्रयान-2 मिशन से अधिक उच्चतम दृश्यता के साथ काम करेगा और नए वैज्ञानिक और तकनीकी नवीनताओं का उपयोग करेगा।
चंद्रयान-3 मिशन के माध्यम से, भारत अपने अंतरिक्ष क्षेत्र में एक बड़ा कदम बढ़ाएगा और चंद्रमा की सतह पर वैज्ञानिक अनुसंधान को आगे बढ़ाएगा।
लॉन्चिंग सफल
चंद्रयान-3 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा चांद पर एक लैंडर और रोवर को भेजने का मिशन है। यह मिशन चंद्रयान-2 मिशन के बाद आयोजित किया गया है।
चंद्रयान-3 मिशन का मुख्य लक्ष्य चांद पर एक सफल लैंडिंग मिशन पूरा करना है, जिससे भारत देश दुनिया के चौथे देश बन सके जो चांद पर सफलतापूर्वक लैंडिंग करता है। इसरो ने चंद्रयान-3 को उनके पिछले चंद्रयान-2 मिशन से अधिक विकसित करने के लिए कई बदलाव किए हैं। यहां कुछ मुख्य बदलाव शामिल हैं:
- लैंडिंग सिस्टम: चंद्रयान-3 में उपग्रह लैंडिंग के लिए एक नया और सुरक्षित लैंडिंग सिस्टम विकसित किया गया है। इसमें एक प्रोपलेंट प्रक्षेपण सिस्टम का उपयोग किया जाता है जो लैंडिंग स्थल पर सुरंग में प्रवेश करता है।
- रोवर: चंद्रयान-3 में एक नया रोवर शामिल है, जिसका नाम “प्रग्यान” है। यह रोवर चांद की सतह पर गतिशीलता का अध्ययन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। प्रग्यान कई वैज्ञानिक उपकरणों, दूरबीन, उपग्रह कमरे, और नमूने के संग्रह कंटेनर के साथ लैंडिंग स्थल पर जाएगा।
- न्यूजेला: चंद्रयान-3 में न्यूजेला यानी चांद की यात्रा के लिए एक अलग संकेतक शामिल है। इसका उपयोग चंद्रयान-3 को चांद की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश कराने के लिए किया जाएगा।
चंद्रयान-3 क्या काम करेगा?
चंद्रयान-3 एक भारतीय अंतरिक्ष मिशन है जिसका उद्देश्य चांद की सतह पर एक रोवर उतारना और वहां से वैज्ञानिक जानकारी भेजना है। चंद्रयान-3 का प्रमुख उद्देश्य चांद की सतह के अनुसंधान करना है और विज्ञानिकों को चांद से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करने में मदद करना है। चंद्रयान-3 मिशन के तहत, एक रोवर चांद की सतह पर उतरेगा और वहां से वैज्ञानिक डेटा और जानकारी भेजेगा ।
चंद्रयान-3 मिशन की कॉस्ट
चंद्रयान-3 मिशन की पूरी कॉस्ट के बारे में नवीनतम जानकारी के अनुसार, इसकी अनुमानित कॉस्ट करीब 75 मिलियन डॉलर (615 करोड़ रुपये) है।
चंद्रयान-3 का ट्रैवल टाइम
14 जुलाई को 2.35 मिनट पर चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग होगी। इसके लैंडर के 23 या 24 अगस्त को चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग होगी। चंद्रयान को लॉन्च वीइकल मार्क-III से लॉन्च किया जाएगा। यानी कुल 42 दिन में चंद्रयान-3 चांद की सतह पर पहुंचेगा।
चंद्रयान-3 के रॉकेट लॉन्चर
चंद्रयान-3 के लॉन्चर के रूप में, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा उपयोग किए जाने वाले एलवीएम3-एम4 (LVM3-M4) रॉकेट को चुना गया है। यह एक पांच-स्टेज रॉकेट है और चंद्रयान-3 मिशन को चंद्रमा के सतह तक पहुंचाने के लिए डिजाइन किया गया है। LVM3-M4 रॉकेट की ऊंचाई लगभग 43.5 मीटर है और वजन करीब 640 टन है। इसमें कई प्रमुख अंग हैं जिनमें संकरण स्टेज, कोर स्टेज, और अक्षरण स्टेज शामिल हैं। यह रॉकेट संकरण स्टेज के साथ प्रारंभिक चंद्रयान-3 प्राक्यूशन मॉडल को प्रक्षेपित करेगा। इसके बाद, चंद्रयान-3 अपनी यात्रा को अपने विशेष कोर स्टेज और अक्षरण स्टेज की मदद से जारी रखेगा।
शेकलटन क्रेटर
शेकलटन क्रेटर, चंद्रमा का एक बड़ा शेकलटन क्रेटर है जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव में स्थित है। यह क्रेटर लगभग 4.2 किलोमीटर का व्यास है और इसका तापमान बहुत निम्न होता है, लगभग -267 डिग्री फारेनहाइट (-163 डिग्री सेल्सियस)। शेकलटन क्रेटर में सूर्य की रोशनी कई अरबों सालों से पहुंचने से वंचित रहती है, इसलिए यहां का तापमान बहुत ठंडा होता है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, शेकलटन क्रेटर में हाइड्रोजन की भारी मात्रा पाई जाती है, जिसके कारण यहां पर पानी की मौजूदगी हो सकती है। अनुमान है कि शेकलटन क्रेटर में 100 मिलियन टन क्रिस्टलाइज्ड पानी हो सकता है। इसके अलावा, शेकलटन क्रेटर में अमोनिया, मिथेन, सोडियम, मर्क्युरी, और सिल्वर जैसे महत्वपूर्ण संसाधन भी मिल सकते हैं। चंद्रयान-3 मिशन के तहत, रोवर के माध्यम से इन जगहों का अध्ययन किया जाएगा। रोवर शेकलटन क्रेटर में जाकर चंद्रमा की सतह की मिट्टी, तापमान, और वातावरण में मौजूद गैसों के बारे में जानकारी एकत्र करेगा।
चंद्रयान 3 का उद्देश्य
चंद्रयान 3 का मुख्य उद्देश्य चांद के पूर्वी और पश्चिमी ध्रुव पर विजय प्राप्त करना है। यह मिशन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा निर्मित और नासा के सहयोग से चलाया जा रहा है। इस मिशन के माध्यम से, चंद्रयान 3 को विस्तृत ग्रामीण सुरविलेंस और वैज्ञानिक अध्ययन के लिए चांद के वातावरण के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करने का प्रयास किया जाएगा। यह जानकारी आर्टेमिस-3 मिशन को उचित ढंग से योग्यता प्रदान करेगी, क्योंकि वह चंद्र के दक्षिणी ध्रुव पर इंसानों को स्थापित करने का प्रयास करेगा।
चंद्रयान 3 के द्वारा प्राप्त डेटा अनेक महत्वपूर्ण पहलुओं को समझने में मदद करेगा, जैसे कि:
- चांद के तापमान, वायुमंडल, भूमिका, और अन्य ग्रामीण परिस्थितियों का अध्ययन।
- चांद के ध्रुव प्रदेश की संरचना, सामरिक गतिविधियों और मौसम के बारे में जानकारी।
- ध्रुवीय प्रदेश पर विकासित होने वाली अवधारणाओं और घटनाओं का पता लगाने में मदद।
- चंद्रयानी पोषक संरचनाओं और तत्वों के बारे में विवरण।
- सौरमंडलीय वातावरण की समझ बढ़ाने वाले तत्वों की खोज।
चंद्रयान 3 के रॉकेट की रफ्तार
रॉकेट की रफ्तार निम्नलिखित मार्गों पर बदलती रहती है:
- शुरुआती रफ्तार: 2.35 बजे रॉकेट बूस्टर को लॉन्च किया जाता है और इसकी शुरुआती रफ्तार 1627 किमी प्रति घंटा होती है।
- 108 सेकंड बाद: लॉन्च के 108 सेकंड बाद, रॉकेट की ऊंचाई 45 किमी होती है और इसका लिक्विड इंजन स्टार्ट होता है. इसके बाद, रॉकेट की रफ्तार 6437 किमी प्रति घंटा होती है।
- 62 किमी की ऊंचाई पर: जब रॉकेट 62 किमी की ऊंचाई पर पहुंचता है, दोनों बूस्टर रॉकेट से अलग हो जाते हैं और रॉकेट की रफ्तार 7 हजार किमी प्रति घंटा होती है।
- 92 किमी की ऊंचाई पर: जब रॉकेट 92 किमी की ऊंचाई पर पहुंचता है, चंद्रयान-3 को वायुमंडर से बचाने वाली हीट शील्ड अलग हो जाती है।
- 115 किमी की दूरी पर: रॉकेट 115 किमी की दूरी पर पहुंचता है, तब उसका लिक्विड इंजन अलग हो जाता है और क्रॉयोजनिक इंजन काम करना शुरू करता है. इस स्थिति में, रॉकेट की रफ्तार 16 हजार किमी प्रति घंटा होती है।
- क्रॉयोजनिक इंजन काम करने के बाद: क्रॉयोजनिक इंजन काम करने के बाद, रॉकेट 179 किमी तक जाता है और इसकी रफ्तार 36,968 किमी प्रति घंटा होती है।
चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण और चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग
चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण और चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग की योजना वास्तव में विकास यात्रा का महत्वपूर्ण हिस्सा होगी। इस प्रक्रिया के दौरान, चंद्रयान-3 को पृथ्वी के बाहरी ऑर्बिट में स्थापित करने के लिए क्रॉयोजनिक इंजन का उपयोग किया जाएगा। यह उच्च स्थानिकीयता और समुद्री स्तर से ऊँचा जाने की सुविधा प्रदान करेगा।
चंद्रयान-3 चंद्रमा के निकटतम अनुकंपीय पृथ्वी स्वचालित स्थान से प्रक्षेपण किया जाएगा। यह योजना पृथ्वी की गति को लाभ देती है और उच्च स्थानिकीयता को जोखिम से बचाने में मदद करती है। चंद्रयान-3 अपने सौर पैनल को खोलेगा, जो सौर ऊर्जा को इलेक्ट्रिक शक्ति में परिवर्तित करेगा और उसे चंद्रयान की चालकता के लिए उपयोग करेगा।
चंद्रयान-3 अपनी मिशन के दौरान धीरे-धीरे चंद्रमा के पास आएगा और चांद की कक्षा में प्रवेश करेगा। यह चंद्रयान-3 को चंद्रमा की सतह से कुछ हजार किलोमीटर की दूरी पर ले जाएगा, जहां लैंडर और रोवर की लैंडिंग योजना के लिए तैयारी की जाएगी।
लैंडर की चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए, प्रोपल्शन मॉड्यूल को अलग कर दिया जाएगा, जो लैंडर को अवकाश के दौरान समर्थित करेगा। इसके बाद, लैंडर सतह पर संतुलित रूप से लैंड होगा।
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